MPPSC | राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में प्रदेश की भूमिका | MP Freedom Fighters

राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में प्रदेश की भूमिका

  • म.प्र. में राजनीतिक गतिविधियों की शुरूआत 1906 में जबलपुर अधिवेशन के साथ हुई। मध्यप्रदेश में 1916 ई. में सिवनी सत्याग्रह हुआ।
  • झण्डा सत्याग्रह :- 1923 में जबलपुर से झण्डा सत्याग्रह की शुरूआत हुई। असहयोग आन्दोलन के सिलसिले में जबलपुर पहुंचे अजमल खों और कांग्रेसियों के सम्मान के साथ जबलपुर नगरपालिका भवन पर तिरंगा फहराने की रणनीति कांग्रेस ने बनाई इससे क्रोधित होकर अंग्रेजों ने उस तिरंगे को उतरवाया और पैरों तले कुचला। इस अपमान के विरोध में पं. सुन्दरलाल, सुभद्राकुमारी चौहान, लक्ष्मणसिंह चौहान एवं नरसिंह अग्रवाल आदि ने जुलूस निकाला जिन्हें पुलिस ने रोक दिया लेकिन दूसरे जत्थे ने टाउन हॉल पर झण्डा फहरा दिया।
  • सन् 1923 म जबलपुर म प्रारभ हुए झडा सत्याग्रह का निर्देशन डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, देवदास गांधी, रामगोपालाचार्य ने किया। 1929-30 में दुर्गाशंकर मेहता ने गांधी चौक पर नमक सत्याग्रह किया।

जंगल सत्याग्रह (1930) :-

सिवनी, टुरिया, एवं घोड़ा डोंगरी के आदिवासियों ने नमक सत्याग्रह के दौरान जंगल सत्याग्रह किया। कंधे पर कम्बल और
हाथ में लाठी लेकर जंगल और पहाड़ों के लिए सत्याग्रह छेड़ा गया। टुरिया में चार आदिवासी पुलिस की गोली से मारे गये, घोड़ा-डोंगरी में गंजन सिंह कोरकू के नेतृत्व में जंगल सत्याग्रह में पुलिस को प्रबल प्रतिरोध का सामना करना पड़ा।

चरणपादुका नरसंहार (1931) :-

छतरपुर जिले में चरणपादुका ग्राम में स्वतंत्रता सेनानियों की शान्तिपूर्ण बैठक पर पुलिस ने अंधाधुन्ध गोलियाँ चलाई। यह म.प्र. का जलियावाला बाग हत्याकाण्ड कहा जाता है।


व्यक्तिगत सत्याग्रह (1939) :-

गांधी जी ने राजनैतिक चेतना के केन्द्र बन चुके जबलपुर से व्यक्तिगत सत्याग्रह शुरू किया। संत विनोबा भावे प्रथम एवं पं. जवाहरलाल नेहरू द्वितीय सत्याग्रही बने। मध्यप्रदेश के सिवनी जेल में सुभाषचन्द्र बोस, शरत चंद बोस, आचार्य विनोबा भावे, पं. द्वारिका मिश्रा, एच.बी. कामथ जैसे प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी रहे थे। 1930 में जबलपुर के सेठ गोविंददास और द्वारिका प्रसाद मिश्रा ने मिलकर नमक सत्याग्रह आंदोलन प्रांरभ किया ।
सन् 1942 ई. में भारत छोड़ो आंदोलन का सूत्रपात ग्वालियर रियासत में सर्वप्रथम विदिशा में हुआ था।

Leave a Comment