Madhay Pradesh Ke Pramukh Pathar

इस पोस्ट में हम Madhay Pradesh Ke Pramukh Pathar के बारें में जानेंगे, दोस्तों MPPSC या अन्य competitive exam में पूछे वाले सवालों के लिए विस्तृत अध्यन के लिए ये पोस्ट तैयार किया गया है.

Madhay Pradesh ke pramukh Pathar
1- मालवा का पठार
2- बुन्देलखण्ड का पठार
3- मध्य भारत का पठार
4- रीवा पन्ना का पठार
5- भाण्डेर का पठार
6- बघेलखण्ड का पठार

Madhay Pradesh Ke Pramukh Pathar

भौतिक दृष्टि से म.प्र. का अधिकांश भाग भारत के प्रायद्वीपीय पठार का भाग है । जो अत्यंत प्राचीन, कठोर शैलों से बना हुआ है। म.प्र. राज्य में पठारी भाग की अधिकता है जबकि कहीं -2 पर्वतीय एवं मैदानी भाग भी फैले हु  हैं। मध्यप्रदेश पूर्णतः अवेष्ठित राज्य है। प्रदेश की सीमा न तो किसी समुद्री सीमा को छूती है और न ही किसी अन्तर्राष्ट्रीय सीमा को। भू-वैज्ञानिक दृष्टि से मध्यप्रदेश सर्वाधिक प्राचीनतम गोड़वानालैण्ड का भाग है। प्रदेश के पश्चिमी भाग में दक्कन ट्रेप की चट्टानें तथा पूर्वी भाग में विंध्य शैल समूह पाया जाता है। भू- भौतिक संरचना की दृष्टि से तीन मुख्य भौतिक प्रदेशों में म.प्र. को बाँटा जा सकता है।

(I) मध्य भारत का पठार

यह म.प्र. के उत्तर पश्चिम भाग में स्थित है। मध्य भारत के पठार का अधिकांश भाग ऊबड़ खाबड़ और पठारी है। मध्य भारत का पठार नदियों द्वारा लाई गई जलोढ़ मिट्टी के निक्षेप से बना हैं। इसका विस्तार भिण्ड, मुरैना, श्वापुर, ग्वालियर, शिवपुरी, नीमच, मंदसौर और गुना जिलों में हैं।
इस क्षेत्र में चम्बल, सिंध, कुँवारी, कूनो और पार्वती नदियाँ बहती हैं। इस क्षेत्र में चम्बल नदी ने गहरे खड्डों का निर्माण किया है। जिन्हे बीहड़ कहते हैं।
म.प्र. में मुरैना और भिण्ड सबसे अधिक सरसों का उत्पादन करते है। इसे पीली क्रांति का क्षेत्र कहते हैं। इस क्षेत्र में बामौर और मालनपुर औद्योगिक क्षेत्र हैं।
यहाँ पर कटीले वन पाये जाते है,
मुख्यतः शीशम, खैर, बबूल के वृक्ष पाए जाते है। यहाँ प्रमुख रूप से सहरिया जनजाति का निवास है ।

(II) बुंदेलखण्ड का पठार

यह म.प्र. के मध्य उत्तरी भाग में विस्तृत हैं। बुंदेलखण्ड प्रदेश में छतरपुर, टीकमगढ़ और दतिया जिले तथा शिवपुरी जिले की पिछोर और करैरा तहसीलें, ग्वालियर की डबरा तहसील, भिण्ड की लहार तहसील इसमें शामिल हैं। इसके अलावा उ. प्र. का बुदेलखण्ड क्षेत्र आता है। बुंदेलखण्ड प्रदेश की सतह लहरदार है। बुंदेलखण्ड की सबसे ऊंची चोटी सिद्धबाबा है। इस प्रदेश में बेतवा, सिंथ, धसान और केन नदियाँ बहती हैं।
यहाँ पर मिश्रित मिट्टी पायी जाती है, जो लाल और काली के मिश्रण से बनी है। यहाँ पर ज्वार, गेहूँ, तिल आदि की फसलें प्रमुखता से उगायी जाती है।
बुंदेलखण्ड के पठार में ही मध्यप्रदेश का प्रमुख पर्यटन स्थल खजुराहो है ।

(III) रीवा पन्ना का पठार

इसे विंध्यकगारी प्रदेश भी कहा जाता है। इसका विस्तार रीवा, पन्ना, सतना, दमोह जिलों में है। इस पठार का निर्माण कड़प्पा और विंध्य शैलों से हुआ है। यहाँ पर दोमट मिट्टी पायी जाती है। जिसमें गेहूँ मुख्य रूप से तथा ज्वार, तिल आदि फसलें उगायी जाती है। इस क्षेत्र में केन, सोन, टोख, तथा वारना नदियाँ प्रवाहित होती है। यहाँ के दर्शनीय स्थलों में चित्रकूट व मैहर का शारदा मन्दिर प्रमुख हैं।

(IV) मालवा का पठार

यह म.प्र. के मध्य पश्चिम भाग में स्थित है। यह भाग दक्कन ट्रेप की बेसाल्ट चट्टानों से बना हुआ है। इस प्रदेश की प्रमुख ऊँची चोटियों में
सिगार चोटी (881 मी.), जानापाव ( 854 मी.) और थजारी (810 मी.) है। मालवा के पठार का विस्तार गुना राजगढ़, शाजापुर, मंदसौर, रतलाम, आगर मालवा, उज्जैन, इंदौर, थार, झाबुआ, देवास, सीहोर, रायसेन, भोपाल, विदिशा, सागर जिलों में है। इस क्षेत्र का विस्तार मध्यप्रदेश के सबसे बड़े भू-भाग में है। मालवा के
पठार का कुल क्षेत्रफल 88222.2 वर्ग किलोमीटर है। जो मध्यप्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 26.62 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में चंबल, माही, क्षिप्रा, बेतवा, सिंध, काली सिंथ आदि नदियाँ बहती हैं। मालवा क्षेत्र में काली मिट्टी पाई जाती हैं। यह क्षेत्र गेहूँ, सोयाबीन, चना, गन्ना आदि के लिए उपजाऊ क्षेत्र हैं। पश्चिमी मालवा औद्योगिक रूप से मध्यप्रदेश का सबसे विकसित औद्योगिक क्षेत्र है। यहाँ कृषि आधारित उद्योगों की प्रधानता है। यहाँ पर सम जलवायु पायी जाती है।

(V ) नर्मदा-सोन घाटी

दक्कन ट्रेप शैलों से निर्मित यह घाटी मध्यप्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र से उत्तर पूर्वी भाग तक फैला है। यह एक भ्रंश ( रिफ्ट) घाटी है। यह संकरी और लंबी घाटी है। यह म.प्र. का सबसे निचला भाग है। मण्डला, जबलपुर, नरसिंहपुर, खण्डवा, होशंगाबाद, रायसेन, खरगोन, धार, झाबुआ, अलीराजपुर, देवास, सीहोर, रायसेन, हरदा जैसे जिलों में इसका विस्तार हैं।
इस भाग में गहरी काली मिट्टी पायी जाती । यह क्षेत्र गेहूँ की फसल के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है। नर्मदा घाटी क्षेत्र भूकंप के लिए संवेदनशील क्षेत्र है।

(VI)सतपुडा मैकल श्रेणी

नर्मदा और ताप्ती नदियों के बीच विंध्याचल पर्वत के समानांतर पूर्व से पश्चिम की ओर सतपुड़ा मैकल का विस्तार है । इसका विस्तार बैतूल, बालाघाट, छिंदवाडा, सिवनी, पूर्वी निमाड़, पश्चिमी निमाड़, बड़वानी, बुरहानपुर जिलों में है। इस भाग में म.प्र. की सबसे ऊँची चोटी ‘धूपगढ़’ है जो पचमढ़ी में है। इसकी ऊँचाई 1350 मी. हैं। खनिज संसाधन की दृष्टि से यह क्षेत्र काफी संपन्न है। बैतूल, छिंदवाड़ा में कोयला, छिंदवाड़ा बालाघाट में मैग्नीज, बैतूल में चूना पत्थर, बालाघाट जिले के मलाजखण्ड में ताँबा अधिक मात्रा में पाया जाता है। इस प्रदेश में बेनगंगा, शक्कर एवं बारना नदियाँ बहती है।
यह क्षेत्र सघन वनों के लिए प्रसिद्ध है।

(VII)पूर्वी पठार

इसके अंतर्गत बघेलखण्ड का पठार आता है। बघेलखण्ड का विस्तार सीधी, सिंगरौली, अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, डिंडोरी और कटनी जिलों में है। यहाँ पर मुख्यतः लाल पीली मिट्टी पायी जाती हैं। इसमें सोन, छोटी महानदी, रिहन्द नदियाँ बहती हैं। यह क्षेत्र वनों की दृष्टि से सघन है। इस क्षेत्र में अपेक्षाकृत अधिक वर्षा होती है। यह धान की फसल के लिये प्रसिद्ध है।

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FAQS
Q – बुंदेलखण्ड का पठार म.प्र. के किस भाग में स्थित है ?
Ans – यह म.प्र. के मध्य उत्तरी भाग में स्थित है

Q – विंध्यकगारी प्रदेश किस पठार को कहा जाता है
Ans – रीवा पन्ना का पठार

 

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