दोस्तों आज हम से देखते है PESA ACT के बारें, पैसा एक्ट क्या है ? राष्ट्रपति बनने के बाद द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) का 15 नवंबर को पहली बार मध्य प्रदेश आगमन हो रहा है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति में शहडोल में जनजातीय गौरव दिवस मनाया जा रहा है जो की बिरसा मुंडा की जयंती भी है और ये प्रत्येक वर्ष 15 नवंबर को मनाया जाता है और इसी उपलक्ष्य राष्ट्रपति द्वारा आधिकारिक रूप से लागू करने की घोषणा करेंगी
सबसे पहले हम जानेंगे PESA एक्ट का Full Form क्या है
इसका पूरा नाम Panchayat Extension to Scheduled Areas है
1.पैसा एक्ट क्या है ?
पेसा एक्ट क्या है ? – पेसा एक्ट यानि पंचायतों के प्रावधान अधिनियम, 1996 भारत के अनुसूचित (विशेषकर आदिवासी ) क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार द्वारा उनको दिया जाने वाला अधिकार है। दरअसल अनुसूचित क्षेत्र भारत के संविधान की पांचवीं अनुसूची द्वारा पहचाने गए क्षेत्र हैं। यह अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को विशेष रूप से प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए विशेष अधिकार देता है।
इस अधिनियम के तहत अनुसूचित क्षेत्र वे हैं जिन्हें अनुच्छेद 244 (1) में संदर्भित किया गया है, जिसके अनुसार पाँचवीं अनुसूची के प्रावधान असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के अलावा अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों के अनुसूचित जनजातियों पर लागू होंगे।
पाँचवीं अनुसूची इन क्षेत्रों के लिये विशेष प्रावधानों की श्रृंखला प्रदान करती है।
दस राज्यों- आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना ने पाँचवीं अनुसूची के क्षेत्रों को अधिसूचित किया है जो इन राज्यों में से प्रत्येक में कई ज़िलों को कवर करते हैं। अब आप समझ गए होंगे पैसा एक्ट क्या है ?
2.पेसा एक्ट का उद्देश्य!
अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिये ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित करना।
यह कानूनी रूप से आदिवासी समुदायों, अनुसूचित क्षेत्रों के निवासियों के अधिकार को स्वशासन की अपनी प्रणालियों के माध्यम से स्वयं को शासित करने के अधिकार को मान्यता देता है। यह प्राकृतिक संसाधनों पर उनके पारंपरिक अधिकारों को स्वीकार करता है।
ग्राम सभाओं को विकास योजनाओं को मंज़ूरी देने और सभी सामाजिक क्षेत्रों को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने का अधिकार देता है।
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3.पेसा अधिनियम में ग्राम सभा का महत्त्व!
लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण: पेसा ग्राम सभाओं को विकास योजनाओं की मंज़ूरी देने और सभी सामाजिक क्षेत्रों को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने का अधिकार देता है।
इस प्रबंधन में निम्नलिखित शामिल है:
- जल, जंगल, ज़मीन पर संसाधन।
- लघु वनोत्पाद।
- मानव संसाधन: प्रक्रियाएँ और कार्मिक जो नीतियों को लागू करते हैं।
- स्थानीय बाज़ारों का प्रबंधन।
- भूमि अलगाव को रोकना।
- नशीले पदार्थों को नियंत्रित करना।
पहचान का संरक्षण:
ग्राम सभाओं की शक्तियों में सांस्कृतिक पहचान और परंपरा का रखरखाव, आदिवासियों को प्रभावित करने वाली योजनाओं पर नियंत्रण एवं एक गाँव के क्षेत्र के भीतर प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण शामिल है।
संघर्षों का समाधान: इस प्रकार पेसा अधिनियम ग्राम सभाओं को बाहरी या आंतरिक संघर्षों के खिलाफ अपने अधिकारों तथा परिवेश के सुरक्षा तंत्र को बनाए रखने में सक्षम बनाता है।
ग्राम सभा को अपने गाँव की सीमा के भीतर नशीले पदार्थों के निर्माण, परिवहन, बिक्री और खपत की निगरानी तथा निषेध करने की शक्तियाँ प्राप्त होंगी।
4.ग्राम सभा के कार्य
- ग्राम सभा एक ऐसा निकाय है जिसमें वे सभी लोग सम्मिलित होते हैं जिनके नाम ग्राम स्तर पर पंचायत की निर्वाचन सूची में दर्ज होते हैं.
- ग्राम सभा को संविधान के अनुच्छेद 243ख में परिभाषित किया गया है.
- ग्राम सभा से जुड़े प्रावधानों को संविधान में 73वें संविधान संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया था.
- ग्राम सभा की मतदाता सूची में दर्ज 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी व्यक्ति ग्राम सभा के सदस्य होते हैं.
- पंचायती राज अधिनियम के अनुसार ग्राम सभा की बैठकें साल में कम से कम दो बार अवश्य होनी चाहिए. ग्राम पंचायत को अपनी सुविधानुसार ग्राम सभा की बैठक आयोजित करने का अधिकार है.
5. पेसा एक्ट से आदिवासियों को क्या फायदा होगा?
भले शिवराज सरकार द्वारा आदिवासियों को लुभाने के लिए ये एक्ट लागु किया जा रहा है लेकिन आइये हम देखते हैं की इस एक्ट लागू होने के बाद आदिवासियों को क्या फायदा है। क्या इससे आदिवासियों के अधिकार बढ़ जाएंगे?
दरअसल, एमपी में आदिवासी लंबे समय से पेसा एक्ट की मांग कर रहे हैं। पेसा अधिनियम 1996 (PESA ACT) में पंचायतों से संबंधित संविधान के भाग IX के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तारित करने के लिए अधिनियमित किया गया था। इसमें एमपी सरकार ने कुछ संशोधन किए हैं। यह कानून देश में 24 दिसंबर 1996 को लागू किया गया था। एमपी के ही जनप्रतिनिधि दिलीप सिंह भूरिया की अध्यक्षता में बनाई गई समिति की अनुशंसा पर एक्ट तैयार हुआ था।
इसके बावजूद एमपी में अभी तक यह एक्ट लागू नहीं हुआ था, लेकिन 15 नवम्बर 2022 से से राज्य में PESA ACT लागू हो जाएगा। इस कानून का उद्देश्य है कि अनूसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को लिए ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित करना।
यह एक्ट कानूनी रूप से आदिवासी समुदायों को स्वशासन की अपनी प्रणालियों के माध्यम से स्वयं को शासित करने के अधिकार को मान्यता देता है। यह प्राकृतिक संसाधनों पर उनके पारंपरिक अधिकारों को स्वीकार करता है। ग्राम सभाओं के पास ही विकास योजनाओं को मंजूरी देने का अधिकार होता है। साथ ही सामाजिक क्षेत्रों को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अधिकार देता है।
6.भारत की जनजातीय नीति
भारत में अधिकांश जनजातियों को सामूहिक रूप से अनुच्छेद 342 के तहत ‘अनुसूचित जनजाति’ के रूप में मान्यता दी गई है।
भारतीय संविधान का भाग X: अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्र में निहित अनुच्छेद 244 (अनुसूचित क्षेत्रों एवं जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन) द्वारा इन्हें आत्मनिर्णय के अधिकार (Right to Self-determination) की गारंटी दी गई है।
संविधान की 5वीं अनुसूची में अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन एवं नियंत्रण तथा छठी अनुसूची में असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन संबंधी उपबंध किये गए हैं।
पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम 1996 या पेसा अधिनियम।
जनजातीय पंचशील नीति।
अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 वन में रहने वाले समुदायों के भूमि एवं अन्य संसाधनों के अधिकारों से संबंधित है।
परिचय – दिलीप सिंह भूरिया
इनका जन्म 18 Jun 1944 मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में हुआ था
दिलीप सिंह भूरिया भारत की लोकसभा के सदस्य थे। वे 1980 से 1998 तक कांग्रेस के सदस्य के रूप में मध्य प्रदेश में रतलाम (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से लोकसभा के लिए चुने गए थे। बाद में वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और उसके उम्मीदवार के रूप में रतलाम सीट जीती। मायोकार्डियल इंफार्कशन से दूसरी बार पीड़ित होने के कारण 24 जून 2015 को गुड़गांव में उनका निधन हो गया। वे एक अनुभवी राजनीतिक नेता थे जिन्होंने जनजातीय समुदायों के लिए अत्यधिक काम किया था। भूरिया के पास मध्य प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर दोनों विधायी अनुभव थे, जो उनकी प्रमुख संपत्ति थी।
मुख्य बिंदु
- अनुसूचित क्षेत्रों की जो ग्राम सभा होगी, वहां पंचायती राज व्यवस्था को क्षेत्र की मिट्टी के कटाव, जल संचयन की व्यवस्था कृषि विभाग के माध्यम से करने के अधिकार होंगे।
- जनजातीय इलाकों के ग्रामीण क्षेत्रों में भू अभिलेख की ग्राम सभा होगी, तो आदिवासियों को उस वित्तीय वर्ष में नक्शा खसरा दिया जाएगा। इससे जनजातीय वर्ग को तहसील नहीं जाना पड़ेगा।
- गांवों की जमीनों से संबंधित मामले ग्राम सभा प्रस्ताव पारित कर पटवारी को भेजेगी। पटवारी इसमें सुधार कर सकेंगे।
- आदिवासियों की जमीनों का लैंडयूज नहीं बदल पाएंगे। ऐसा करने पर ग्राम सभा को बताना होगा।
- गैर आदिवासी के नाम हुई जमीन को वापस दिलाने का अधिकार होगा।
- अगर किसी की जमीन नीलाम हो रही होगी, तो ग्राम सभा इस जमीन को आदिवासी को वापस दिला सकेगी।
- बंटाई के लिए बंधक की गई भूमि को भी आदिवासी को वापस जमीन दिलाने के लिए ग्राम सभा कोअधिकार होंगे।
- हाईवे या बड़े प्रोजेक्ट के लिए जमीन ली जाती है, तो ग्राम सभा की अनुशंसा महत्वपूर्ण होगी। डिप्टी कलेक्टर स्तर के अधिकारी अधिसूचित क्षेत्रों की ग्राम
सभाओं से चर्चा करेंगे। पहले की तरह छल-कपट से आदिवासी की जमीन न ले पाएं, इसके लिए कानून में व्यवस्था है।
MP PESA Act के बारें में आधिकारिक नोटफिकेशन देखने के क्लिक करें https://pib.gov.in/
7.सार
यदि पेसा अधिनियम को अक्षरश: लागू किया जाता है, तो यह आदिवासी क्षेत्र में मरती हुई स्वशासन प्रणाली को फिर से जीवंत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।
यह पारंपरिक शासन प्रणाली में खामियों को दूर करने और इसे अधिक लिंग-समावेशी एवं लोकतांत्रिक बनाने का अवसर भी देगा।
FAQS
Q – पेसा एक्ट का सक्षिप्त नाम क्या है ?
Ans. – Panchayat Extension to Scheduled Areas है
Q – PESA Act कितने राज्यों में लागु है
Ans – देश का 8 राज्यों में लागू, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात व महाराष्ट्र शामिल है।
बहुत ही अच्छा कॉन्टेंट है
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आपका धन्यवाद 🙏
शुक्रिया जितेंद्र जी आपके इस प्रोत्साहन के लिए, हम आगे भी ऐसे कंटेंट पोस्ट करते रहेंगे