मध्य प्रदेश के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं एवं प्रमुख राजवंश

दोस्तों आज हम आपके लिए मध्य प्रदेश के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं एवं प्रमुख राजवंश के बारे पोस्ट दे रहे हैं, अगर आप MPPSC या अन्य किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहें तो ये पोस्ट आपके काम की, हमने इस पोस्ट को शार्ट में रखने की कोशिश करे रहे यहीं और साथ में पॉइंट्स में बना रहे हैं ताकि आपको याद करें में कठिनाई ना हो

पाषाण युग संबंधी साक्ष्य मध्यप्रदेश के कई स्थानों से प्राप्त हुए हैं।

मध्यप्रदेश में ताम्र पाषाणिक सभ्यता के प्रमुख स्थल है – नाबदाटोली, कायथा, एरण एवं बेसनगर ।

मध्यप्रदेश में प्रागैतिहासिक शैलाश्रय कई स्थानों से प्राप्त हुए है। इसमें प्रमुख है- भीम बैठका (रायसेन), होशंगाबाद, जबलपुर, रायगढ़, छतरपुर, छिंदवाड़ा, आदि ।

मध्यप्रदेश में महापाषाण कालीन स्मारक, सिवनी तथा रीवा जिलों में पाए गए है I

पुराणों के आधार पर ज्ञात होता है कि विन्ध्याचल सतपुड़ा के वनों में निषाद जाति का राज्य और था।

6वीं सदी ई.पू. में भारत के सोलह महाजनपदों में से दो चेदि और अवंति मध्यप्रदेश के इतिहास से संबंधित थे। चेदि की राजधानी शक्तिमती थी ।

उत्तरी अवंति की राजधानी उज्जयिनी और दक्षिण अवंति की राजधानी महिष्मति थी । यहाँ का शासक चण्ड प्रद्योत था ।

मौर्यकाल में अवंति एक प्रांत था। मौर्यकाल में अवन्तिका प्रांत की राजधानी उज्जयिनी थी। जहाँ पर बिंदुसार ने अपने पुत्र अशोक को राज्यपाल बनाया। उसी समय अशोक ने विदिशा की एक युवती श्रीदेवी से विवाह किया था।

मौर्यकाल में अशोक द्वारा साँची का प्रसिद्ध स्तूप बनवाया गया था। अशोक द्वारा आधुनिक विदिशा, सतधारा, सुनारी, भोजपुर और अंधेर में भी स्तूपों का निर्माण कराया गया था। अशोक के लघु अभिलेख जबलपुर जिले में रूपनाथ तथा दतिया जिले में गुजर्रा नामक स्थान पर विद्यमान है।

भोजपुर नगर की स्थापना राजा भोज ने की की थी। राजा भोज ‘कविराज’ की उपाधि से विभूषित था।

मध्यप्रदेश के प्रमुख राजवंश

  • परमार वंश
  • होल्कर वंश
  • सिंधिया वंश
  • बघेल वंश

परमार वंश के बाद तोमर वंश का, उसके बाद चौहान वंश का, और अंततः 1297 ई. में अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति नुसरत खां और उलूग खां ने मालवा पर अधिकार कर लिया।

जबलपुर के आस-पास कोक्कल ने ‘कलचुरी वंश’ की नींव डाली थी। इसकी राजधानी त्रिपुरी थी ।

कलचुरी वंश का एक शक्तिशाली शासक गांगेयदेव था, उसने विक्रमादित्य की उपाधि ग्रहण की थी।

पूर्व मध्य काल में स्वर्ण सिक्कों के विलुप्त हो जाने के बाद गांगेयदेव ने ही सर्वप्रथम इन्हें प्रारंभ करवाया था।

कलचुरी वंश का सबसे शाक्तिशाली शासक कर्णदेव था, जिसने कलिंग पर विजय प्राप्त की और त्रिकंलिंगापति की उपाधि धारण की थी ।

1206 ई. तक मध्यप्रदेश में गौरी के अधीन ग्वालियर, कलिंजर तथा मालवा के क्षेत्र आ गए थे ।

1228 ई. में इल्तुतमिश ने मध्यप्रदेश के मांडू. ग्वालियर, मालवा और उज्जैन को जीत लिया ।

1305 ई. में अलाउद्दीन ने मालवा के शासक महलक देव को पराजित किया और आइनमुल्क मुल्तानी को यहाँ का गवर्नर नियुक्त किया।

मुगलकाल में हुमायूँ ने गुजरात के शासक बहादुरशाह को पराजित कर मालवा और बुंदेलखण्ड पर अधिकार कर लिया।

शेरशाह ने 1542 में मालवा, 1543 में रायसेन और कलिंजर पर अधिकार कर लिया था ।

अकबर ने बाजबहादुर को पराजित कर 1561 ई. में मालवा पर अधिकार कर लिया था । बुंदेलखण्ड पर भी अकबर ने अधिकार कर लिया था ।

14वी. शताब्दी में यादवराय ने गढ़ कटंगा में अपनी सत्ता स्थापित कर ली ।

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मध्यप्रदेश सामान्य परिचय एवं गठन

भारत  के मध्य में स्थित होने के कारण ही इसे म.प्र. कहा जाता है और इसे ये नाम पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दिया था। इसे देश का हृदय प्रदेश भी कहते हैं। इसकी भौगोलिक स्थिति 21°6′ उत्तरी अक्षांश से 26°30′ उत्तरी अक्षांश तक और 74°’ पूर्वी देशांतर से 82°48′ पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है।

म.प्र. का क्षेत्रफल

  • इसका कुल क्षेत्रफल 3 लाख 8 हजार 252 वर्ग कि.मी है जो कि देश का कुल क्षेत्रफल का 9.38% है। म.प्र. क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान के बाद देश का दूसरा बड़ा राज्य है। म.प्र. की सीमा 5 राज्यों उत्तरप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र छ.ग. को स्पर्श करती हैं। म.प्र. पूर्व से पश्चिम 870 KM और उत्तर से दक्षिण की ओर 605 KM तक फैला है।
  • म.प्र. की सीमा सबसे अधिक उ.प्र. को स्पर्श करती है और सबसे कम गुजरात को ।
  • कर्क रेखा म.प्र. के बीच से होकर गुजरती है। यह रेखा म.प्र. के रतलाम, उज्जैन, सीहोर, भोपाल, शाजापुर, रायसेन, विदिशा, सागर, दमोह, कटनी, जबलपुर, शहडोल, राजगढ़, उमरिया से होकर गुजरती है। कुल 14 जिले मध्यप्रदेश के 12 जिलों की सीमा उत्तरप्रदेश से लगी है- मुरैना, भिण्ड, दतिया, शिवपुरी, अशोकनगर, सागर, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, सतना, रीवा, सिंगरोली ।
  • मध्यप्रदेश के 10 जिलों की सीमा राजस्थान से लगी है- झाबुआ, रतलाम, मन्दसौर, नीमच, राजगढ़, गुना, शिवपुरी, श्योपुर, मुरैना, आगर मालवा ।
  • मध्यप्रदेश के 9 जिला की सीमा महाराष्ट्र से लगा है- अलीराजपुर, बड़वानी, खरगौन, बुरहानपुर, खण्डवा, बैतूल, छिन्दवाड़ा, सिवनी, बालाघाट।
  • मध्यप्रदेश की 6 जिलों की सीमा छत्तीसगढ़ से लगी है- सीथी, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर, डिण्डोरी और बालाघाट।
  • मध्यप्रदेश के 2 जिलों की सीमा गुजरात को स्पर्श करती है- झाबुआ और अलीराजपुर

 

 

ब्रिटिश काल में म.प्र. का सेन्ट्रल प्रॉविन्स  और बरार प्रांत था। 1947 में म.प्र चार भागों में विभाजित था

मध्यप्रदेश : इसे Part – A का दर्जा प्राप्त था । इसे सेन्ट्रल प्रॉविन्स और बरार प्रांत में बंघेलखण्ड और छ.ग. की रियासतों को मिलाकर बनाया गया था। इसकी राजधानी नागपुर

विंध्यप्रदेश : इसे Part – C का दर्जा प्राप्त था, इसे उत्तर में स्थित 38 रियासतों को मिलाकर बनाया गया था। इसकी राजधानी रीवा थी ।

मध्यभारत : इसे Part B state का दर्जा प्राप्त था। इसे म.प्र. के पश्चिमी क्षेत्र की 26 रियासतों को शामिल करके बनाया गया था। इसकी राजधनी ग्वालियर और इंदौर थी ।

भोपाल : इसे Part-C state का दर्जा प्राप्त था। इसकी राजधानी भोपाल थी ।

1953 में फजल अली की अध्यक्षता में राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया। जिसमें  के.एम. पणिक्कर और पं. हृदयनाथ कुंजरू को सदस्य बनाया गया था। इसकी सिफारिश के आधार पर राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 के अनुसार 1 नवंबर 1956 को म.प्र. राज्य का गठन किया गया। जिसमें म.प्र. मध्यभारत, विंध्यप्रदेश और भोपाल राज्यों को शामिल किया गया। पूर्व म.प्र. राज्य के बुलढाना, अकोला, अमरावती यवतमाल, वर्धा, नागपुर, भण्डारा और चोंदा जिले (8 ) तत्कालीन बंबई राज्य में शामिल किये गये जो वर्तमान काल में महाराष्ट्र राज्य के जिले हैं ।

मंदसौर जिले की भानपुरा तहसील के सुनेलटप्पा क्षेत्र को राजस्थान में और राजस्थान के कोटा जिले की सिरोंज तहसील को वर्तमान म.प्र. के विदिशा जिले में शामिल किया गया।

म.प्र. की राजधानी भोपाल बनाई गई जो कि सीहोर जिले की एक तहसील थी। म.प्र. के गठन के समय 43 जिले थे।

26 जनवरी 1972 को भोपाल और राजनंदगाँव दो नये जिले क्रमशः सीहोर और दुर्ग जिलों से बनाये गये है।

B.R. दुबे की अध्यक्षता में गठित जिला पुनर्गठन आयोग की अनुशंसा पर May-1998 को 10 नये जिले बनाये गये। इसी वर्ष सिंहदेव समिति की अनुशंसा पर 6 नये जिले बनाये गये । इसी प्रकार 1998 में म.प्र. में जिलों की संख्या 61 हो गई। M.P.  के 16 जिलों को लेकर 1 Nov 2000 को M.P. का विभाजन करके देश के 26 वें राज्ये के रूप में छ.ग. का गठन किया गया।

2003 में नये तीन जिले बनाये गये- अशोकनगर गुना से, बुरहानपुर खण्डवा से और अनूपपुर शहडोल से ।

2008 में दो नये जिले अलीराजपुर झाबुआ से और सिंगरौली सीधी से बनाये गये हैं।

2013 मे आगर मालवा शाजापुर से नया जिला बना । वर्तमान में म.प्र. में 52 जिले और 10 संभाग हैं।

मध्य प्रदेश देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है जिसमें 52 जिले हैं जिन्हें दस संभाग में बांटा गया है। मध्यप्रदेश की आबादी 7 करोड़ से अधिक है।

म. प्र. में संभाग व जिले

  • संभाग – 10
  • जिले -52
  • तहसील – 341
  • जनपद पंचायत – 313
  • जिला पंचायत – 51
  • नगर पंचायत – 248
  • ग्राम पंचायत – 23044

 

मध्यप्रदेश के संभागों के नाम

  • भोपाल
  • इन्दौर
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • सागर
  • उज्जैन
  • शहडोल
  • चंबल
  • रीवा
  • होशंगाबाद / नर्मदापुरम

 

Conclusion
दोस्तों अपने इस पोस्ट में मध्य प्रदेश के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं एवं प्रमुख राजवंश को जाना आशा है आपको ये पोस्ट पसंद आयी होगी, किसी भी प्रकार की टूटि होने पर हमने कमेंट में बताएं हम सुधारकर दुबारा पोस्ट करेंगे

FAQS
Q – मध्यप्रदेश के प्रमुख राजवंश के नाम क्या है ?

Ans.

  1. परमार वंश
  2. होल्कर वंश
  3. सिंधिया वंश
  4. बघेल वंश

Q – म.प्र. का क्षेत्रफल कितना है ?

Ans. – इसका कुल क्षेत्रफल 3 लाख 8 हजार 252 वर्ग कि.मी है जो कि देश का कुल क्षेत्रफल का 9.38% है।

Q – मध्यप्रदेश में कितने संभाग व जिलें है ?

Ans – म. प्र. में संभाग व जिले

  • संभाग – 10
  • जिले -52
  • तहसील – 341
  • जनपद पंचायत – 313
  • जिला पंचायत – 51
  • नगर पंचायत – 248
  • ग्राम पंचायत – 23044

 

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